शुक्रवार, १० ऑक्टोबर, २००८

...

रास्ते हमेशाही नये लगते है
हर मोड अंजाना होता है
आखे ढुंडती है कुछ
पर सामने सिर्फ़ कोहरा नजर आता है

एक हवा का झोका छु के जाता है
तब कुछ अपनापन मेहसुस होता है
पर वो टिक नही पाता
बस अपना एहसास छोड जाता है
ओर सामने फ़िर वो अकेला अजनबि रास्ता.. कोहरा ओर मै


...Sneha

२ टिप्पण्या:

Abhi म्हणाले...

Hi Nice blog, I have added you to my bloglist.

happy blogging.

Dk म्हणाले...

ओर सामने फ़िर वो अकेला अजनबि रास्ता.. कोहरा ओर मै>>
True! bhut hi badhiya likha hai ;)